World Leprosy Day: कुष्ठ रोग के मरीज से न करें भेदभाव, ये कोई शाप नहीं, संभव है इसका इलाज
सेहतराग टीम
आज वर्ल्ड लेप्रेसी डे यानी है। यह डे इसलिए मनाया जाता है ताकि लोगों में इस बीमारी के लिए जागरूकता बढ़े। अक्सर कुष्ठ रोग या 'हार्सन्स डिजीज' से पीड़ित मरीजों को समाज में फैली गलत अवधारणाओं और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है। लोग इस बीमारी को एक शाप की तरह देखते हैं। यदि लोगों में इसकी जागरूकता बढ़ेगी तो लोग इसे शाप न समझकर इलाज की तरफ ज्यादा ध्यान दे पाएंगे। कुष्ठ रोग या कोढ़ की बीमारी ठीक हो सकती है। यह हर व्यक्ति की कंडीशन पर निर्भर करता है कि उसे ठीक होने में कितना वक्त लगेगा या उसकी बीमारी लाइलाज होने के स्तर पर पहुंच चुकी है। आइए जानें, इस बीमारी के बारे में सबकुछ...
पढ़ें- भारत आज भी है लेप्रोसी की विश्व राजधानी
दिल्ली की जानी-मानी डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. दीपाली भरद्वाज ने बताया कि यह आकस्मिक होने वाली बीमारी है। यह बीमारी बहुत धीमी रफ्तार से ग्रो होनेवाले बैक्टीरिया से फैलती है। इस बीमारी का असर व्यक्ति की त्वचा, हाथों और ऊतकों पर होता है। यह मायकोबैक्टीरियम लैप्री नामक जीवाणु के कारण होता है। एक ऐसी बीमारी है जो हवा में मौजूद बैक्टीरिया के जरिए फैलती है। हवा में ये बैक्टीरिया किसी बीमार व्यक्ति से ही आते हैं। इसलिए इसे संक्रामक रोग भी कहते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि इस बीमारी के कारण व्यक्ति असहाय सा हो जाता है यानी उसकी जॉब चली जाती है, शादी टूट जाती है, परिवार छोड़ देता है और समाज छोड़ देता है। इस बीमारी को लेकर इतिहास में मदास टेरेसा से लेकर कई लोगों ने काम किया है। पूरी दुनिया में सबसे पहले भारत में इसका इलाज उपलब्ध हुआ था। भारत में कुम्हकोंनम नाम की जगह पर में इस बीमारी का इलजा उपलब्ध है। आज के समय कुम्हकोंनम टॉप 10 मंदिरों में से एक है। लेकिन यह केवल एक मंदिर नहीं है बल्कि ये दुनिया की एक ऐसी जगह है जहां इस बीमारी के इलाज की दवाएं उपलब्ध हैं, इसके आलावा यहां दुनिया का सबसे बड़ा एंटी- लेप्रसी सेबटोर भी है। आज के समय इसके इलाज के लिए वैक्सीन भी इजात हो चुकी है। अगर इस रोग से पीड़ित व्यक्ति इस वैक्सीन को समय पर ले ले तो इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।
पढ़ें- त्वचा की उपेक्षा बंद करें, जागरूकता फैलाने आ रहा है त्वचा रथ
लेप्रसी के लक्षण-
लेप्रसी या कोढ़ के दौरान हमारे शरीर पर सफेद चकत्ते यानी निशान पड़ने लगते हैं। ये निशान सुन्न होते हैं यानी इनमें किसी तरह का सेंसेशन नहीं होता है। अगर आप इस जगह पर कोई नुकीली वस्तु चुभोकर देखेंगे तो आपको दर्द का अहसास नहीं होगा। ये पैच या धब्बे शरीर के किसी एक हिस्से पर होने शुरू हो सकते हैं, जो ठीक से इलाज ना कराने पर पूरे शरीर में भी फैल सकते हैं।
क्या यह छुआछूत की बीमारी है?
लेप्रसी यानी कोढ़ एक ऐसी बीमारी है जो हवा में मौजूद बैक्टीरिया के जरिए फैलती है। हवा में ये बैक्टीरिया किसी बीमार व्यक्ति से ही आते हैं। इसलिए इसे संक्रामक रोग भी कहते हैं। यानी यह संक्रमण या कहिए कि सांस के जरिए फैलती है। लेकिन यह छुआछूत की बीमारी बिल्कुल नहीं है। अगर आप इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति से हाथ मिलाएंगे या उसे छू लेंगे तो आपको यह बीमारी बिल्कुल नहीं होगी। लेकिन अगर उसके खांसने, छींकने से लेप्रै बैक्टीरिया हवा में मौजूद नमी के साथ ट्यूनिंग करके खुद को डिवेलप कर लेता है और आप उस हवा में सांस लेकर नमी के उन कणों को अपने अंदर ले लेते हैं तो इस तरह की स्थितियां बन जाती हैं कि आप इस बीमारी से संक्रमित हो जाएं।
इसे भी पढ़ें-
Comments (0)
Facebook Comments (0)